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Sanjay Singh vs. Deven Pandey (Round 2)

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Sanjay Singh vs. Deven Pandey (Round 2) Empty Sanjay Singh vs. Deven Pandey (Round 2)

Post by Admin Wed Nov 19, 2014 4:21 am

तुम बहुत बोलती हो !
(Deven Pandey)


‘’ तो रात के इस पहर में हाजिर है आपका दोस्त ‘प्रतिम ‘ लेकर कुछ खट्टी मीठी लेकिन शरारती बाते !
आपकी आकेली रातो का हमसफर ,जिसकी शरारत भरी बाते आपक दिन ओह्ह सॉरी राते हसीन बना दे ,तो ट्यून इन कीजिये ‘रेडियो ब्लास्ट ‘ का यह शो ‘रात अकेली है ‘’ ! तब तक के लिए पेश है सोये हुये अरमानो को जगाने वाला यह गाना , तो अभी कॉल कीजिये और अपनी मनचाही बाते शेयर कीजिये अपने और सिर्फ अपने ‘प्रतिम ‘ के साथ .
इतना कहने के बाद उस उस स्टूडियो के केबिन में अकेले बैठे नौजवान ने कोई नशीला सा गीत प्ले किया ! और बेचैनी से पहलु बदला .

‘’ तो अपने गर्मागर्म शो का दूसरा हफ्ता ! नए स्टूडियो में पहला दिन ,क्या नसीब पाया है ‘प्रतिम ‘ मोटी तनख्वाह की नौकरी और दिल लगाने के लिये नयी नयी लिसनर्स ,वाव ‘’

खुद से ही बाते करते हुए प्रतिम कॉल पर चौंका जो एक लिसनर का था शो पर किया हुवा .

अब गाना समाप्त हो चूका था ! रेडियो शो ओन एयर हो चूका था ,लिसनर्स के कॉल्स आने शुरू हो चुके थे ,इन कॉलर्स में अधिकतर लडकिया ही होती थी ,दरअसल शो कुछ कुछ ‘फ्लर्ट ‘ टाईप का था ,और हर कॉल का इन्तेजार ‘प्रतिम ‘ को बड़ी बेसब्री से रहता था .
‘’ हेल्लो ‘’ एक खनकता हुवा मधुर स्वर रिसीवर से उभरा .
‘ ओ हेल्लो हेल्लो ,तो कौन है इस खुबसूरत चेहरे की मल्लिका ‘’ प्रतिम ने अपना काम शुरू किया .
‘’ जी आपने कैसे जाना के मै खुबसूरत हु ? ‘’ फिर वाही खनकता स्वर .
‘’ आपकी आवाज ही बयान कर रही है मोहतरमा ! ऐसी सुरीली आवाज आप जैसी खुबसूरत लड़की की ही हो सकती है ‘’
‘’ ओह्हो तो आप हेल्लो कहते ही फ्लर्ट पर आ गए जनाब ‘प्रतिम ‘ ‘’ लडकी की शरारतपूर्ण बात ने प्रतिम में कानो में रस भर दिया .
‘’ वह बाद में ! पहले यह बतायीये के हमारी इस कॉलर का क्या नाम है ? ‘’
‘ वीणा ! वीणा नाम है मेरा ‘’ बिलकुल कोयल सी आवाज में उसने कहा .

‘’ आय हाय ! बड़ा ही प्यारा नाम है ,जैसी आवाज वैसा ही नाम ,तो वीणा ! करती क्या हो तुम ? और इतनी रात गये हमें याद करने की वजह ? ‘’ प्रतिम के चेहरे पर मुस्कराहट उभरी .
‘’ मै हॉउस वाईफ हु प्रतिम जी ! घर पर अकेली रहती हु तो आपका शो सुनकर और उसमे की शरारतभरी बातो से मन बहला लेती हु अपना ‘’
एक पल को प्रतिम सकपका सा गया ,फिर खुद को संयत करते हुए बोला ‘’ ओह्ह वेरी नाईस ! आपकी आवाज से तो आपकी उम्र काफी कम जान पड़ती है ,’’
‘’यस आई एम् ट्वेंटी वन यार ,’’ वीणा का जवाब आया .
‘’ओह ट्वेंटी वन ईयर ओनली ? यह तो सरसर जुल्म हुवा आप जैसी हसीना के साथ ,अभी तो आपके कदमो में कई आशिक सजदे करते ,जिनमे से एक हम भी होते ‘’ मुस्कुराते हुए अपनी पूर्ववत टोन में प्रतिम ने कहा .
‘’ तो अभी किस ने रोका है प्रतिम ! आप अब भी सजदे कर सकते है ,लेकिन हमारे कदमो पर ‘’ खिलखिलाते हुए उस आवाज ने कहा .
‘’ कदम ही तो मजिल के लिए सीढ़िया नापते है वीणा जी ! और आपके कदमो पर सजदा करे यह हमारी खुशनसीबी है ‘’
‘’ जाने भी दो ‘प्रतिम ‘ ! तुम ऐसी बाते हर रात जाने कितनी ही लिसनर्स से करते हो ,तुम्हारा क्या भरोसा ? ‘’
‘’ अच्छा वह सब छोडो ! यह बताओ के इस हसीना को कैसे उसका बेरहम पति इस सर्द रात में अकेला छोड़ सकता है ? आखिर कौन है वह बदनसीब ? ‘’ प्रतिम के स्वर में छेड़ने का पुट था .

जवाब में सामने पल भर को ख़ामोशी छा गयी .
‘’ हेल्लो ! क्या हुवा वीणा जी ,क्या इस नाचीज ने आपका दिल दुखाने की हिमाकत की ? ‘’ प्रतिम ने उसका जवाब जानना चाहा .
‘’ नहीं प्रतिम ऐसा कुछ नहीं ! दरअसल मेरे हसबेंड मुझ से हमेशा नाराज रहते है ,मै बहुत बातूनी हु न ,इसलिए मुझे हमेशा कहते है ‘तुम बहुत बोलती हो ‘ ! अपनी आदत बदलो .’’ वीणा ने अपना स्वर पूर्ववत करने की कोशिश की .
‘’ तो इसका मतलब यह हुवा के हमारी वीणा जी को उस शख्स ने सताया है जो आपका पति है ! और उसकी वजह क्या है ? तुम बहुत बोलती हो ? यह क्या वजह हुयी भला ? चलिए इस बात पर आप खुश हो सकती है के मै बहुत बोलता हु ,तो मुझे इस से परेशानी नहीं होगी के ‘तुम बहुत बोलती हो ‘’
एक कुत्सित सी हंसी अनचाहे ही प्रतिम के चेहरे पर आ गयी थी .
‘’ तो तुम खुश नहीं हो ? कही शादी मर्जी के खिलाफ ...’’
‘’ नहीं नहीं ,शादी तो हमारी मर्जी से ही हुयी है ! हमारी लव मैरिज है ‘’ कहटे हुए उसकी आवाज में शर्म का पुट आ गया था .
‘’ कमाल है लव मैरिज ? फिर भी आपके पति देव को आपकी आदत पसंद नहीं ? क्यों ? ‘’प्रतिम ने पूछा .
‘’ शुरू शुरू में ऐसा नहीं था ! क्या मै डिटेल में बता सकती हु ? ‘’ वीणा ने पुछा .
‘’ ओफ्फ्कोर्स व्हाई नोट ! हम यहाँ पर सबकी परेशानिया सुनने ही तो बैठे है ,बस जरा समय की मज़बूरी का ध्यान रखियेगा ‘’ प्रतिम ने चहकते हुए कहा .

‘’ दरअसल मै शुरू से हि बहुत बातूनी हु ! ऐसे एक दिन मुलाक़ात हुए ‘प्रवीन ‘ से ,और चंद मुलाकातों से हमें प्यार हो गया ! प्रवीन बहुत कम बोलनेवाला इन्सान था ,लेकिन मेरे बोलने की आदत उसे पसंद थी ,घरवालो को मनाने की कोशिश की लेकिन नहीं माने तो हमने कोर्ट मैरेज कर ली ‘’ एक पल को वीणा साँस लेने के लिए रुकी .’फिर ? ‘’ प्रतिम उत्सुक था ! साथ उसने अपने मोबाईल में वीणा का नम्बर सेव किया .

‘’ फिर हम एकदूसरे के हो गये ! प्रवीन लेखक था ,उसे लिखने का बहुत शौक था ,लेकिन मै हमेशा अपनी बातो से उसे जाने अनजाने में परेशान करती थी ,जिस से वह खफा हो जाता ! कुछ दिनों तक ठीक था लेकिन जल्द ही वह थोडा अग्रेसिव हो गया ,उसे अब मेरा ज्यादा बाते करना रास नहीं आ रहा था ,और मै अपनी आदत से मजबूर थी ,इसी बिच प्रवीन के एक नावेल की लौन्चिंग में मेरी मुलाकात ‘राहुल ‘ से हुयी .’’
‘’ ओह्हो तो अकेले प्रवीन ही आपकी नजरो से घायल नहीं हुए थे ! अच्छा यह राहुल कौन है ? ‘’ प्रवीन ने मुस्कुराते हुए कहा .
मुस्कुराते हुए वीणा की आवाज आई जिसमे डांटने का पुट शामिल था ‘’ ओह शट अप यार ,ऐसा कुछ नहीं ! वह मेरा क्लास मेट था ! जब वह मिला तो हमने ढेर सारी बाते की ,प्रवीन को भी राहुल से मिलवाया ! फिर राहुल की जानपहचान शुरू हुयी और उसका घर पर भी कभी कभार आना होने लगा ,प्रवीन अपने लिखने में ही बीजी रहते थे तो अकेलापन मुझे काटता था मई फिर अपनी स्कूल कॉलेज की सहेलियों और दोस्तों से फोन पर बात करती रहती ! एक बार फोन का बिल देखकर प्रवीन भडक गया और उसने मुझे कम बाते करने को कहा .इसी बिच उसकी कई नोवेल्स रिजेक्ट हो गयी जिससे वह टेन्स रहने लगा ! मै भी अपने आप को खामोश रखने लगी क्या पता कब प्रवीन को गुस्सा आ जाये ! इसी बिच एक रेडियो चैनल पर वैकेंसी निकली और मैंने इंटर व्यू दे दिया तो मुझे सिलेक्ट कर लिया गया रेडियो जोकि के लिए ‘’

‘ एक मिनट ! एक मिनट ,क्या तुम भी रेडियो जोकि हो ? अमेजिंग यार ‘’ प्रतिम ने खुश होते हुए कहा .
‘’ हु नहीं थी ! आगे तो सुनो ‘’ वीणा ने जोर देकर कहा तो प्रतिम ने भी सिर्फ ‘हम्म ‘ कहकर आगे बोलने की सहमती दे दी .
‘मेरा शो भी लेट नाईट होता था ! प्रवीन को यह खराब लगता था,वचः मुझे टोकता भी था तो मै उसे समझाती ! अनबन होने लगी और बात हाथ उठाने तक जा पह्नुची और उसने हाथ उठा दिया ! उसका कहना था के वह कुछ लिख नहीं पाता उसका ध्यान लिखने में नहीं लगता ! जब भी लिखने बैठता है तब उसे रेडियो का मेरा शो याद आने लगता है जिसमे मै लडको से बाते करती थी उनकी उलझने प्यार से सुलझाती थी ! अब हमारे बीच झगड़े आम होने लगे थे , प्रवीन बात बात पर हाथ उठा देता था ! एक बार इसी शो पर ‘प्रवीन ‘ ने ओन एयर कॉल कर दिया वह डिप्रेस था अपनी गर्लफ्रेंड को लेकर .

प्रवीन भी शो सुन रहा था ,वह गुस्से से भर उठा ! और सीधे मेरे स्टूडियो पहुँच गया ,चूँकि स्टूडियो में उसे सब मेरे पति के रूप में जानते थे क्योकि हमेशा रात में वह मुझे पिक अप करने आते थे ! तो उन्हें अंदर आने दिया .
उस वक्त मै शो पर किसी से बात कर रही थी के अचानक मुझे पीछे से प्रवीन ने पुकारा ! मैंने मुड़कर देखा तो वह गुस्से से कांप रहा था ,दरअसल प्रवीन की दिमागी हालत कुछ ठीक नहीं थी ! कभी कभी मुझे उस से डर भी लगता था ,लेकिन मुझे उम्मीद नहीं थी के वह कभी मेरे स्टूडियो में भी आ जायेगा .

वह गुस्से में था ! और मुझे गालिया देने लगा ,बदचलन ,मेरी बर्बादी का कारण और पता नहीं क्या क्या कहा ,उसके हाथ में एक शीशी थी ,उसकी आँखे भी सुर्ख थी ‘ओह्ह तो उसने  भी पि रखी थी ‘’

वह मेरे नजदीक आया ! मैंने उसे रुकने का इशारा किया क्योकि शो खत्म होनेवाला था लेकिन वह नहीं माना और उसने एक झटके से मेरे बाल खींचे और कहा ‘’ कब से कह रहा था ज्यादा मत बोलो ! मत बोलो लेकिन तु मानती नहीं , जब से शादी हुयी है एक पल को चैन नहीं मिला मुझे ! और ऊपर से राहुल से दिन भर बाते करती रहती है ,वह कामयाब है इसलिए ? और यहाँ रेडियो पर भी बक बक बक ! मैंने कहा था ‘तुम बहुत बोलती हो ‘ मत बोलो !नहीं माना अब तेरी आवाज ही बंद कर देता हु हमेशा के लिए यह ले !

इतना कहकर उसने वह शीशी मेरे हलक में उड़ेल दी ! मै गलत समझी थी वह शराब नहीं थी वह ‘तेज़ाब ‘ था ‘एसिड ‘ जो एक जटके से मेरे गले को चीरते हुए अंदर तक चला गया ,मै छट पटाई और मेरे झटके से वह बोतल प्रवीन के ऊपर जा गिरी उसका चेहरा भी झुलस गया बुरी तरह से ,मै छटपटा रही थी लेकिन मेरे सामने ही प्रवीन भी दर्द से दोहरा होकर गिरा हुवा था ! उस दर्द में भी मेरे अंदर का लावा फूट पड़ा और मैंने वह बोतल तडपते हुए उठायी और प्रवीन के मुंह में पूरी की पूरी बोतल खाली कर दी ! उसने तडपते हुये दम तोड़ दिया .\! तब तक एसिड ने मेरे फेफड़े तक जला दिये थे .
इतना कहकर फोन पर वीणा रुकी ! एक सन्नाटा सा छा गया .

प्रतिम को मानो सांप सूंघ गया ! एक पल को वह भी सुन्न रह गया ,खुद को सम्भाला और उसने कहा .
‘’ तो तुम कैसे बची ? तेज़ाब के फेफड़े जला देने के बाद भी तुम ठीक हो ? ‘’
‘’ किसने कहा के मै बच गयी ? मै भी उसी वक्त खत्म हो गयी थी प्रतिम उसी वक्त ‘’ अब फोन पर मधुर आवाज की जगह एक फटी हुयी डरावनी आवाज सुनकर प्रतिम के शरीर में सिहरन दौड़ गयी .

कुछ सोचकर वह मुस्कुरा दिया .
‘’ अच्छा मजाक है ! हाहाहा बहुत अच्छा मजाक है ,’’ प्रतिम ने हँसते हुए कहा .
‘’ यह मजाक नहीं है प्रतिम ! मै उसी स्टूडियो में जोकि थी जिसमे तुम बैठे हो , मेरे मरने के बाद यह स्टूडियो कुछ दिनों के लिए बंद हो गया था ,तुम शायद इस स्टूडियो में कही से ट्रांसफर होकर आये हो इसलिए तुम्हे नहीं पता इस बारे में .’’ आवाज अब और डरावनी हो रही थी .
प्रतिम के तिरपन कांप गए उस भयानक आवाज को अपने शरीर के अंदर तक महसूस करके !
‘’हां एक बात तो बताना भूल ही  गयी ‘’ उस भयानक आवाज ने कहा .

‘ क क क्या ? ‘ प्रतिम अपनी घबराहट पर काबू पाने की कोशिश कर रहा था ! वह अपनेआप को समझाने की कोशिश कर रहा था के यह उसके साथ कोई मजाक कर रहा है .
‘’ आज ही के दिन मेरी मौत हुयी थी ! और मेरे पति की भी ,मै तो तुमसे बात कर रही हु , मेरे पति कहा है जानते हो ? ‘’ उस भयानक आवाज ने प्रश्न किया .
‘’ क क कहा ? ‘’ प्रतिम के मुंह से बड़ी मुश्किल से निकले थे यह शब्द .
‘’ तुम बहुत बोलते हो प्रतिम ‘’ अचानक एक सर्द आवाज ने प्रतिम का ध्यान खिंचा जो उसके पीछे से आई थी .
वह फुर्ती से पीछे मुड़ा .
दरवाजे पर एक व्यक्ति खड़ा था ! जिसका चेहरा गल रहा था और मॉस जल रहा था ,उसका जबड़ा मांस न होने की वजह से बहार निकला हुवा था ,उसके हाथ में एक बोतल थी जिसमे से धुंवा निकल रहा था .’ तेज़ाब ‘
प्रतिम सूखे पत्ते की तरह कांप रहा था ! तभी वीणा की भयानक आवाज गूंजी .
‘’ वो तुम्हारे पीछे खड़ा है ! कब से तुम्हारी बाते सुन रहा है ,बक बक बक बक ..हां हा हा हा ‘’

प्रतिम फुर्ती से पीछे पलटा तो वह जला हुवा व्यक्ति अचानक से उसके सामने आ खड़ा हुवा और उसने प्रतिम के बालो को अपनी मजबूती हथेली में जकड़ा ,और तेज़ाब की बोतल उसके खुले मुंह में ठूंस दी जो चीखने के लिए खुली थी .
वह चीख भी न पाया और तेज़ाब की पूरी बोतल खाली हो गयी .
वह शख्स बोल रहा था ‘’ तुम बहुत बोलते हो ‘’

समाप्त

Rating - 63/100

*) - Comic Con India 2014. Incredible Rush, Amazing Event
(Sanjay Singh)


9 फरवरी को Comic Con India 2014 का समापन हुआ। ये चौथा अवसर था जब दिल्ली मे Comic Con का आयोजन हुआ। 3 दिनो (7-8-9) तक चले इस कार्यक्रम का दिल्ली मे काफी उत्साह रहा। अपने पहले साल से ही लोकप्रियता की सीढी चढ रहे है इस उत्सव ने इस साल पिछले तीनो सालो का रिकार्ड तोड दिया। हालांकि इस बार ये दिल्ली हाट मे ना होकर एक स्पोर्टस काम्पलैक्स मे हो रहा था और टिकट भी 100 रु से शुरु थी फिर भी लोगो ने बडे जोर-शोर से इसमे भाग लिया। मुझे आखिरी दिन ही इस उत्सव मे जाने का मौका मिला। वहाँ जाकर मुझे कैसा अनुभव हुआ इसी से आप लोगो को परिचित कराने के लिए मैं ये पोस्ट लिख रहा हूँ। उम्मीद करता हूं कि आप इस पोस्ट से Comic Con के कुछ सकारात्मक पहलुओं पर भी आपका ध्यान जाएगा।

इस बार के Comic Con को लेकर मेरे मन मे सबसे बडा सवाल ये था कि इस बार ये कामयाब नही हो पाएगा। क्योंकि इस बार Dili Haat के बदले एक Sports Complex मे होने के बदले टिकट का प्रावधान था। दूसरे, Comic Con मे जो भीड देखने को मिलती थी वो ज्यादातर Dili Haat घूमने आए tourists की वजह से होती थी। तो इस बार ये उम्मीद थी कि शायद इस बार Comic Con मे दिल्ली बुक फेयर जैसा नजारा देखने को मिले। खाली-खाली।

But, I was wrong. Wrong by miles away. INA के Metro Station पर ही इस बात के hint मिलने शुरु हो गए थे कि लोग काफी जोश-ओ-खरोश मे है इस event को लेकर। हर कोई त्यागराज स्टेडियम के बारे मे ही पूछ रहा था। मैं अपने दोस्त आकाश के साथ 1 बजे के आसपास जब वहाँ पहुंचा तो रही-सही गलतफहमी भी दूर हो गई। वाकई मे काफी भीड थी वहां। Main entrance से लेकर Ticket counters तक और फिर वहाँ से event entrance तक comic con का crew काफी संख्या मे था जो लोगो को Guide और help कर रहा था। इसके अलावा Superfan pass वालो के लिए कुछ और भी प्रबंध कर रखे थे। सभी visitors का नाम और ई-मेल रिकार्ड किया जा रहा था और उनके हाथ मे एक बैंड बांधा जा रहा था। जल्दबाजी मे हम ये काम कराना भूल गए। बाद मे गौरव श्रीवास्तव के कहने पर हमने खुद को भी register कराया और बैंड बंधवाया।

इवेंट बैडमिंटन कोर्ट मे चल रहा था। ये दो भागो मे बंटा हुआ था। बाहर वाले हिस्से मे तो गेंमिग और औटोग्राफ और फोटोग्राफ वाले प्रोग्राम चल रहे थे। बहार से आए हुए author and artist (John Layman and Mark Waid) से ओटोग्राफ्स लेने के लिए लोगो की कतार लगी हुई थी। वहाँ हमारे मतलब का कुछ था नही तो हम अंदर चले गए। यहाँ पर मुख्य मंच और Comics, Merchandise, toys and Gifts के बहुत सारे स्टाल लगे हुए थे। और असली भीड यहां जमा थी। लोगो मे काफी जोश था। किताबो के लेकर भी और बाकी दूसरी चीजो को लेकर भी। ये जगह दिल्ली हाट से बडी थी लेकिन फिर भी जगह की बहुत दिक्कत हो रही थी। चलने मे भी बहुत दिक्कत आ रही थी। और खडे होकर बात करने के लिए भी जगह नही मिल पा रही थी। खैर हम आगे बढते रहे। अमर चित्रकथा और Campfire के स्टाल पर थोडी देर के लिए रुके। लोग अमर चित्रकथा मे भी रुचि ले रहे थे। हालांकि ऐसे मौंको पर अमर चित्रकथा सिर्फ English title ही लेकर आती है फिर भी ये देखकर अच्छा लगा कि अमर चित्रकथा से लोग अभी भी लगाव रखते है।

मुख्य मंच के सामने ही Campfire Graphical Novels का स्टाल लगा था। इस बार बडा स्टाल लग रखा था campfire वालो ने। World War I का विमोचन पहले ही हो चुका था। अब मुझे तलाश थी Save Indian Comics के स्टाल की। लेकिन उससे पहले पहुंच गए हम Holly Cow Entertainment के स्टाल पर। विवेक गोयल जी और गौरव श्रीवास्तव से मुलाकात हुई। उन्ही के साथ मे Chariot Comics and Meta Desi comics के भी स्टाल लगे हुए थे। ये तीनो ही अपने देश की कम्पनियाँ है। फिर गौरव श्रीवास्तव हमे लेकर Save Indian Comics के पास ले आया। वहां उस वक्त सिर्फ यशवंत गोलेचा जी ही थे। उन से जब प्रद्युमनदेव जोधा जी के बारे मे पूछा तो उन्होने बताया कि वो डोगा का cosplay करने की तैयारी कर रहे है। वहां signature petition campaign चल रहा था। हमने भी अपने हस्ताक्षर किए और फिर गौरव के साथ आगे चल बढे। अभी काफी भीड हो गई थी लेकिन cosplayer इक्का-दुक्का ही नजर आ रहे थे। गौरव श्रीवास्तव के साथ काफी बाते करी। और साथ ही साथ event का आननद भी लेते रहे। थोडी देर घूमने और बाते करने के बाद जब मैं दुबारा Save Indian Comics पर पहुंचा तो डोगा और सुपर कमांडो ध्रुव वहाँ पर मौजूद थे। डोगा बने प्रद्युमनदेव जोधा जी से मैंने बातचीत करी। काफी अच्छा लगा उन से मिल कर। उनके साथ फोटोग्राफिग भी करवाई। Garbage bin वाले फैजल मोहम्म्द भी आए थे इस बार Comic Con मे। उनके स्टाल पर भी फैन्स का काफी rush था।

थोडी देर बाद एक और दोस्त, जयंत कुमार बलोच भी वहाँ आ गया। वो पहले दिन भी आया था। देखते-देखते समय का पता ही नही चला और तकरीबन 3:30-4:00 बजे के करीब खाना खाने के लिए हम लोग स्टेडियम से बाहर चल दिए। खाना खाने के बाद आते-आते 4:30 से ऊपर का समय हो चुका था और हमने ये तय किया कि 5:30 के बाद यहाँ से निकल जाएंगे। इस पूरे समय के दौरान आकाश ATM से पैसे निकालने की कोशिश मे लगा रहा लेकिन हर जगह उसे नाकामी ही हाथ लगी। अब जब हम वापिस स्टेडियम मे पहुंचे तो नजारा काफी बदल चुका था। भीड अब पहले से भी ज्यादा हो गई थी। और cosplayer भी काफी नजर आने लगे थे। साथ ही Comic Con India के organizers के अपने खुद के cosplayer सुपर कुडी भी वहां आ गई थी। इन सब के अलावा जापान से विशेष तौर पर बुलाए गए cosplayer भी आ गए थे और उनके साथ फोटोग्राफ्स लेने के लिए लम्बी लाईन लगी हुई थी। जब हम और अंदर पहुंचे तो वहाँ भी काफी भीड थी। अब तो चलना भी मुश्किल हो गया था। लोग आपस मे टकराकर चल रहे थे। Cosplayer तो इतने हो गए थे कि हर पांचवा बंदा ही cosplayer नजर आ रहा था। अभी event का लुत्फ उठा ही रहे थे कि एक दोस्त, मोहनीश कन्नौजिया, और आ गया वहाँ। अब तक भीड काफी हो चुकी थी। लोगो की सहूलियत के लिए stands को open कर दिया गया। मैं और मोहनीश वहां जाकर बैठ गए और वही से मुख्य मंच पर चल रहे प्रोग्राम का लुत्फ़ उठाने लगे। वहाँ बैठे-बैठे काफी समय बीत गया। अब घर वापिस जाने का समय आ गया था। उससे पहले एक चक्कर और लगाने का फैसला किया। और साथ ही cosplayers के साथ फोटो सैशन भी करवाने लग गए। घूमते=घूमते एक बार फिर Save Indian Comics के स्टाल पर पहुंचे। तभी वहाँ संजय गुप्ता जी और अनुपम सिन्हा जी भी आ पहुंचे। उन्होने भी उनके इस initiative की तारीफ करी। उसके थोडी देर बाद हम लोग वहाँ से निकल गए।

Comic Con India 2014 at one glance:

कोई शक नही कि ये अब तक का सबसे कामयाब Comic Con रहा। हर मायने मे ये बेहतर था। 100 रु की टिकट होने के बावजूद भी लोगो ने इस इवेंट मे बढ चढ कर हिस्सा लिया। और पहले से बडी जगह होने के बावजूद भी जगह की कमी पड गई। कामिक्सो के अलावा तरह-तरह की merchandises वहाँ उपलब्ध थी। जहाँ तक कामिक्सो की बिक्री का सवाल है तो उसके लिए भी अच्छी प्रतिक्रिया मिली। Holy Cow Entertainment के आर्टिस्ट गौरव श्रीवास्तव के अनुसार उनका सारा स्टाक तीनो दिन sold out हो गया था। बाकी दूसरे कामिक स्टालो पर भी लोगो की भीड नजर आ रही थी। अच्छा लगा देख कर लोग ऐसे इवेंट के जरिए एक बार फिर से कामिक्सो से जुडने का प्रयास करते है। आकाश और मैंने भी Holy Cow Entertainment से कुछ कामिक्से ली।

USP of the Event:

कार्टूनिस्ट प्राण जी को Life Time Achievement Award से सम्मानित किया गया।  I think this is the 2nd time Life time achievement award is given. First time late Mr. Anant Pai got this award in the very first Comc Con India in 2011. Presence of Foreign Author and Artist in the event. Cosplayers from Japan. Huge participation of people for cosplay. Holy Cow Entertainment won an award for best coloring for ravanayan and Vimanika Comics won best cover art award for their title “Kalki, The Black Book.” Launch of Campfire’s “World War I” And last but not least, Save Indian Comics and their signature campaign plus first time cosplay of Raj Comics Characters.

Positive:

A big thanks to the management staff. सब कुछ बहुत ही व्यवस्थित था। लोगो मे भारतीय कामिक्सो को लेकर कितना जोश है ये Save Indian Comics के स्टाल पर देखने को मिला। नए कामिक प्रकाशकों को यहां अच्छा exposure मिलता है। उनको बहुत सारे नए readers मिलते है। काफी सारी नई-नई चीजे वहाँ बिक्री के लिए उपलब्ध थी। Attractive and stylish mugs, Designer T-shirts, Superheroes Toys, 3D Comic books and movie DVDs, new graphical novel and comic book launches and many more. कामिक्सो के अलावा इन सब चीजो मे भी लोग काफी interest लेते है। It proves to them a new and refreshing weekend. And above all, people become more aware about Comic Culture from such kind of event. This can some how help Indian Comic Industry too.

Negative:

कुछ एक कमियाँ भी रही इस इवेंट मे। जैसे Dili Haat जैसे जगह के आस पास होने के बावजूद भी आम सुविधाओं की कमी रही। जैसे ATM, Food Shops, Local Shops, etc. वैसे एक मोबाईल ATM वैन वहाँ मौजूद थी लेकिन वो नाकाफी साबित हो रही थी। खाने के मामले मे सिर्फ एक ही counter दिख रहा था And of course वो काफी महंगा बेच रहा था। इसलिए हमे event से दूर metro station के पास गए lunch के लिए। और सबसे बडी कमी, which has been since the inception of Comic Con India, राज कामिक्स का इस इवेंट का हिस्सा ना बनना। भारतीय कामिक्सो को निसंकोच ऐसे उत्सवों का हिस्सा बनना चाहिए। ऐसे उत्सवो का हिस्सा बनकर जनता की राय, सोच और उनकी अभिरुचि से अवगत होने का अच्छा अवसर मिलता है।

You are gonna love this Event if:

You read English comic book; love comic merchandise; wanna experience and learn something new and look to spend your weekend out of routine.

This event is not your thing if:

You read hindi comics and love Raj Comics.

Rating - 68/100

Result - Sanjay Singh wins the round 2 exhibition match against Deven Pandey.

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